बंदी नहीं है जुगल बंदी के इस दौर मे, अब पास,कोई बंदी नहीं है,, और वो वक़्त था कुछ ऐसा,, अब किसी और से मेरी,बनती नहीं है,,, जुगल बंदी के इस दौर में अब पास कोई बंदी नहीं है,, जो थी वो कयामत थी,, बातो ही बातो मे करती मेरी हजामत थी,, अब वो वक़्त और दौर गया,, अब ना कोई पुराना और ना कोई नया,, अब तो खुद के सिवा किसी से बनती नहीं है जुगल बंदी के इस दौर में, अब पास कोई बंदी नहीं है, कोई सुने कोई पूछे दर्द की दास्तां,, तो बतादूँ पर अब सुने वो मेरी कोकी तो नहीं है,,. वो भी सुने, कविता लिखी मेरी कोई मजबूरी तो नहीं है,, जुगल बंदी के इस दौर मे,. अब पास कोई बंदी नहीं है.... जो थी वो कयामत थी,, अब बात किसी और से हो जरूरी तो नहीं है,,........ ©Rahul pareek(RP) #बंदी नहीं है #LostInCrowd