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पल्लव की डायरी खुशिया ना उमड़े,फिर कैसा उजाला है बि

पल्लव की डायरी
खुशिया ना उमड़े,फिर कैसा उजाला है
बिना उमंग के,पैरो में पड़ा ताला है
भले सजे हो बाजार सामानों से
जब खरीदने की औकात ही नही
तब त्योहारों की चमक फीकी है
दिल मे लगी हो आग, तेल भड़कता है
अंदर रोशन हो महँगाई का दीपक
फिर दीपावली नही दिवाला है
चंगुल में सत्ता के गरीबी फँस गयी
फाके करती जनता सारी है
                                     प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Happiness 
#Happiness
पल्लव की डायरी
खुशिया ना उमड़े,फिर कैसा उजाला है
बिना उमंग के,पैरो में पड़ा ताला है
भले सजे हो बाजार सामानों से
जब खरीदने की औकात ही नही
तब त्योहारों की चमक फीकी है
दिल मे लगी हो आग, तेल भड़कता है
अंदर रोशन हो महँगाई का दीपक
फिर दीपावली नही दिवाला है
चंगुल में सत्ता के गरीबी फँस गयी
फाके करती जनता सारी है
                                     प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Happiness 
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