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धन निरंकार जी मोन मेरे अन्दर ही तूफान था बाहर

धन निरंकार जी 

मोन 

मेरे अन्दर ही तूफान था बाहर का माहौल तो शांत था
मे खुद से ही अन्जान था कियुकी 
मेरे अन्दर ही तूफान था ।।

चेहरे पर लिए खामोशी आँखो से सब कुछ बयान था ।
कोई पड़े भी तो केसे 
मेरे अन्दर ही तूफान था ।।

सोचा मेने कर दू सब कुछ बयान ।
फिर सोचा की सुनेगा कौन 
सुनेगा वही जो होगा मोन ।।

मोन तो केवल निरंकार है ।
पर निरंकार तो सब कुछ जानता 
धीरे-धीरे में हुआ शांत था ।।

फिर भी मे खामोश था ।
मे खुद मे ही खुश था 
मेरे अन्दर का माहौल शांत था ।।

जीवन मे आया ठहराव था ।
इसी मोड़ पर में मोन था 
इस मोड़ पर अपना ही एक अलग सुकून था 
इस सुकून मे ही मे गुम था ।।

Poetry jyoti khandelwal. Sirohi 

धन निरंकार जी jyoti khandelwal
धन निरंकार जी 

मोन 

मेरे अन्दर ही तूफान था बाहर का माहौल तो शांत था
मे खुद से ही अन्जान था कियुकी 
मेरे अन्दर ही तूफान था ।।

चेहरे पर लिए खामोशी आँखो से सब कुछ बयान था ।
कोई पड़े भी तो केसे 
मेरे अन्दर ही तूफान था ।।

सोचा मेने कर दू सब कुछ बयान ।
फिर सोचा की सुनेगा कौन 
सुनेगा वही जो होगा मोन ।।

मोन तो केवल निरंकार है ।
पर निरंकार तो सब कुछ जानता 
धीरे-धीरे में हुआ शांत था ।।

फिर भी मे खामोश था ।
मे खुद मे ही खुश था 
मेरे अन्दर का माहौल शांत था ।।

जीवन मे आया ठहराव था ।
इसी मोड़ पर में मोन था 
इस मोड़ पर अपना ही एक अलग सुकून था 
इस सुकून मे ही मे गुम था ।।

Poetry jyoti khandelwal. Sirohi 

धन निरंकार जी jyoti khandelwal