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ये मायूसियां पाती ठिकाना कहाँ जो झूठी आस के नकाब न

ये मायूसियां पाती ठिकाना कहाँ
जो झूठी आस के नकाब न होते

इन आंसुओं को मिलती पनाह कहां
जो मुस्कुराहटों के नकाब न होते

दर्द सारे बेपर्दा होते 
जो बेपरवाहियों  के नकाब न होते

दुनिया की असलियत कुछ और बदरंग होती
जो ये अच्छाई के रंगीन नकाब न होते

दफ्न होते किस तरह राज सारे
जो ये खामोशियों के नकाब न होते

हर चेहरा आइना होता
हर वक्त सच से सामना होता
सच के नश्तर से मिले ज़ख्म नासूर होते
जो ये अच्छाइयों के नकाब  न होते

ये कड़वाहटें कैसे गले  उतरतीं
जो ये मिठास के नकाब न होते
हकीकतें जीना मुहाल कर देती 
जो ये गलतफहमियों के नकाब न होते

©Rakhee ki kalam se ये मायूसियां पाती ठिकाना कहाँ
जो झूठी आस के नकाब न होते

इन आंसुओं को मिलती पनाह कहां
जो मुस्कुराहटों के नकाब न होते

दर्द सारे बेपर्दा होते 
जो बेपरवाहियों  के नकाब न होते
ये मायूसियां पाती ठिकाना कहाँ
जो झूठी आस के नकाब न होते

इन आंसुओं को मिलती पनाह कहां
जो मुस्कुराहटों के नकाब न होते

दर्द सारे बेपर्दा होते 
जो बेपरवाहियों  के नकाब न होते

दुनिया की असलियत कुछ और बदरंग होती
जो ये अच्छाई के रंगीन नकाब न होते

दफ्न होते किस तरह राज सारे
जो ये खामोशियों के नकाब न होते

हर चेहरा आइना होता
हर वक्त सच से सामना होता
सच के नश्तर से मिले ज़ख्म नासूर होते
जो ये अच्छाइयों के नकाब  न होते

ये कड़वाहटें कैसे गले  उतरतीं
जो ये मिठास के नकाब न होते
हकीकतें जीना मुहाल कर देती 
जो ये गलतफहमियों के नकाब न होते

©Rakhee ki kalam se ये मायूसियां पाती ठिकाना कहाँ
जो झूठी आस के नकाब न होते

इन आंसुओं को मिलती पनाह कहां
जो मुस्कुराहटों के नकाब न होते

दर्द सारे बेपर्दा होते 
जो बेपरवाहियों  के नकाब न होते

ये मायूसियां पाती ठिकाना कहाँ जो झूठी आस के नकाब न होते इन आंसुओं को मिलती पनाह कहां जो मुस्कुराहटों के नकाब न होते दर्द सारे बेपर्दा होते जो बेपरवाहियों के नकाब न होते #mukhota