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79 परिशुद्ध प्रेम का यह भी गुण, परस्पर देखते नहीं

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परिशुद्ध प्रेम का यह भी गुण, 
परस्पर देखते नहीं अवगुण, 
आपसी द्वंद में चाहते पराजय, 
जीत परस्पर का मन भाय, 
भरी आँखों से जब अंक लगाये, 
विरह वेदना तब टिक न पाये, 
विरह कालावधि गौन हो जाए, 
सुख पा दुस्वपन भी भूल जाए। #Shakuntla_Dushyant
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परिशुद्ध प्रेम का यह भी गुण, 
परस्पर देखते नहीं अवगुण, 
आपसी द्वंद में चाहते पराजय, 
जीत परस्पर का मन भाय, 
भरी आँखों से जब अंक लगाये, 
विरह वेदना तब टिक न पाये, 
विरह कालावधि गौन हो जाए, 
सुख पा दुस्वपन भी भूल जाए। #Shakuntla_Dushyant