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लगा के पंख अरमानों के उड़ना चाहती हूं,,,,, खुले आस

लगा के पंख अरमानों के
 उड़ना चाहती हूं,,,,,
खुले आसमानों में,,,
यूँ तो जाल बिछे हैं,,
समाज के दरिंदों के,,
जिद है तो,,
हम आगे निकल ही जाएंगे,,
कोई कुतर न सकेंगे पंख,,
हम आसमानी परिंदों के ।।

©nita kumari
  #pankh #Trending #Life
nitakumari4447

nita kumari

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