मैं लिखती हूं खुद को , शब्दों में अक्सर किसी के नजर का , असर मांगते ढलता सूरज फलक में , हसी है जो उसकी एक प्यारी सी , झलक मांगते अब तो डर लगता है , मुझको दुआ , मांगते मांगते रूठ ना जाए , खुदा मुझसे