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White "विरह की बारिश" विकास यादव स्वदेशी ✍️ ✍️ र

White "विरह की बारिश"
विकास यादव स्वदेशी ✍️ ✍️ 

रात के अंधेरे में खिड़की के बाहर मूसलाधार बारिश हो रही थी। अंशिका खिड़की के पास बैठी थी, हाथ में वही पुराना खत, जो आरव ने विदा होने से पहले उसे दिया था। हर शब्द में उसकी महक थी, हर पंक्ति में उसके लौटने का वादा। लेकिन सालों बीत गए, आरव नहीं लौटा।
पहली बार जब वे मिले थे, तब भी ऐसी ही बारिश हो रही थी। कॉलेज की लाइब्रेरी के बाहर, जब अंशिका की किताबें भीग गई थीं, और आरव ने उन्हें अपने कोट से बचाया था। वो हँसी, वो आँखों की शरारत, और धीरे-धीरे दोस्ती से मोहब्बत में बदलता रिश्ता... सबकुछ किसी अधूरी कविता जैसा था।
फिर एक दिन, आरव को जाना पड़ा—कॅरियर, परिवार, ज़िम्मेदारियाँ। उसने कहा था, "मैं जल्दी लौटूंगा, बस कुछ ही महीनों की बात है।" अंशिका ने मुस्कुराकर विदा किया था, लेकिन उसे नहीं पता था कि यह विरह वर्षों लंबा हो जाएगा।
हर बारिश में उसे लगता, आरव लौट आएगा। लेकिन अब उम्मीदें भी धुंधली पड़ने लगी थीं। वह जानती थी कि जीवन आगे बढ़ चुका होगा, पर उसका मन वहीं ठहरा रह गया था—उसी बारिश, उसी वादे में।
खिड़की से आती ठंडी हवा में आरव की यादों की खुशबू घुल गई थी। उसने खत को सीने से लगाया और पहली बार ज़ोर से रो पड़ी। शायद यही विरह था—प्रेम की सबसे गहरी, सबसे दर्दभरी कसौटी…!!

विकास यादव स्वदेशी ✍️✍️ 
कॉपीराइट सर्वाधिकार सुरक्षित

©Vikas Yadav #love #lovestory #Videos  'लव स्टोरीज' लव शायरी
White "विरह की बारिश"
विकास यादव स्वदेशी ✍️ ✍️ 

रात के अंधेरे में खिड़की के बाहर मूसलाधार बारिश हो रही थी। अंशिका खिड़की के पास बैठी थी, हाथ में वही पुराना खत, जो आरव ने विदा होने से पहले उसे दिया था। हर शब्द में उसकी महक थी, हर पंक्ति में उसके लौटने का वादा। लेकिन सालों बीत गए, आरव नहीं लौटा।
पहली बार जब वे मिले थे, तब भी ऐसी ही बारिश हो रही थी। कॉलेज की लाइब्रेरी के बाहर, जब अंशिका की किताबें भीग गई थीं, और आरव ने उन्हें अपने कोट से बचाया था। वो हँसी, वो आँखों की शरारत, और धीरे-धीरे दोस्ती से मोहब्बत में बदलता रिश्ता... सबकुछ किसी अधूरी कविता जैसा था।
फिर एक दिन, आरव को जाना पड़ा—कॅरियर, परिवार, ज़िम्मेदारियाँ। उसने कहा था, "मैं जल्दी लौटूंगा, बस कुछ ही महीनों की बात है।" अंशिका ने मुस्कुराकर विदा किया था, लेकिन उसे नहीं पता था कि यह विरह वर्षों लंबा हो जाएगा।
हर बारिश में उसे लगता, आरव लौट आएगा। लेकिन अब उम्मीदें भी धुंधली पड़ने लगी थीं। वह जानती थी कि जीवन आगे बढ़ चुका होगा, पर उसका मन वहीं ठहरा रह गया था—उसी बारिश, उसी वादे में।
खिड़की से आती ठंडी हवा में आरव की यादों की खुशबू घुल गई थी। उसने खत को सीने से लगाया और पहली बार ज़ोर से रो पड़ी। शायद यही विरह था—प्रेम की सबसे गहरी, सबसे दर्दभरी कसौटी…!!

विकास यादव स्वदेशी ✍️✍️ 
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Vikas Yadav

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