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"भीख" कल कहीं गया था मैं। वहाँ देखा कोई बहुत

   "भीख"

 कल कहीं गया था मैं। वहाँ देखा कोई बहुत जोर जोर से रो रो कर भीख माँग रहा था। और जिससे माँग रहा था वो उसे दुत्कार रहा था। एक की आँखों में आँसू थे तो दूसरे की आँखों में नफ़रत। मैं खड़ा रहा कुछ देर और सोचने लगा कि देने वाला भीख दे क्यूँ नहीं देता। और अगर नहीं दे रहा, तो मांगने वाला उसका पीछा छोड़ क्यूँ नहीं देता, क्यूँ अपनी इज़्ज़त की मिट्टीपलित करवा रहा है।

मैनें मांगने वाले से पूछा कि वो आखिर ऐसा क्यूँ कर रहा है। तो उसने कहा कि उसे इस भीख की ज़रूरत हैऔर उसके बिना वो जी नहीं पायेगा। इसीलिए वो अड़ा हुआ है उस भीख के लिए, चाहे उसे कितनी ही बेइज़्ज़ती उठानी पड़े।

फिर मैंने देने वाले से पूछा कि वो क्यों नहीं भीख दे दे रहा है, क्यों परेशान कर रहा है। तो उसने कहा कि बहुत बार भीख दे दी है, अब उसके पास देने के लिए कुछ नहीं बचा। उसका खज़ाना खाली हो गया। मैंने पूछा कैसे? तो उसने कहा कि इस ख़ज़ाने को भरना पड़ता है। और उसे भरा नहीं गया, बस लिया ही गया, इसीलिए खाली हो गया।

मैं निरुत्तर हो गया था। मैंने दोनों को उनके हाल पर छोड़ दिया और वहाँ से चला गया।
   "भीख"

 कल कहीं गया था मैं। वहाँ देखा कोई बहुत जोर जोर से रो रो कर भीख माँग रहा था। और जिससे माँग रहा था वो उसे दुत्कार रहा था। एक की आँखों में आँसू थे तो दूसरे की आँखों में नफ़रत। मैं खड़ा रहा कुछ देर और सोचने लगा कि देने वाला भीख दे क्यूँ नहीं देता। और अगर नहीं दे रहा, तो मांगने वाला उसका पीछा छोड़ क्यूँ नहीं देता, क्यूँ अपनी इज़्ज़त की मिट्टीपलित करवा रहा है।

मैनें मांगने वाले से पूछा कि वो आखिर ऐसा क्यूँ कर रहा है। तो उसने कहा कि उसे इस भीख की ज़रूरत हैऔर उसके बिना वो जी नहीं पायेगा। इसीलिए वो अड़ा हुआ है उस भीख के लिए, चाहे उसे कितनी ही बेइज़्ज़ती उठानी पड़े।

फिर मैंने देने वाले से पूछा कि वो क्यों नहीं भीख दे दे रहा है, क्यों परेशान कर रहा है। तो उसने कहा कि बहुत बार भीख दे दी है, अब उसके पास देने के लिए कुछ नहीं बचा। उसका खज़ाना खाली हो गया। मैंने पूछा कैसे? तो उसने कहा कि इस ख़ज़ाने को भरना पड़ता है। और उसे भरा नहीं गया, बस लिया ही गया, इसीलिए खाली हो गया।

मैं निरुत्तर हो गया था। मैंने दोनों को उनके हाल पर छोड़ दिया और वहाँ से चला गया।