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{ बे_पनाह } ×××××××××× चाहता था भाई मैं तुम्हें खु

{ बे_पनाह }
××××××××××
चाहता था भाई मैं तुम्हें खुद से भी ज्यादा
फिक्र थी भाई तेरी मुझे ख़ुद से भी ज्यादा
फिर क्यों रूठा हमसे तू इस क़दर,
कि देख भी न सकूं मैं तुम्हें कितना भी चाह कर..!!
इक शाम कम से कम बात तो की होती,
दर्द_ऐ_दास्तां कम से कम बयां तो की होती..!!
कर देता मैं सारी दुनिया एक तरफ,
पर आने न देता तुझे कोई एक हरफ...!!
कैसे दिखाएं अपना दर्द ये बे_पनाह..,
कि आँखों में नमी है और ज़हन में भरी आह...!!
कैसे दिखाएं अपना दर्द ये बे_पनाह..,
कि आँखों में नमी है और ज़हन में भरी आह...!! Rj Prashant
#be_panah
#बे_पनाह
{ बे_पनाह }
××××××××××
चाहता था भाई मैं तुम्हें खुद से भी ज्यादा
फिक्र थी भाई तेरी मुझे ख़ुद से भी ज्यादा
फिर क्यों रूठा हमसे तू इस क़दर,
कि देख भी न सकूं मैं तुम्हें कितना भी चाह कर..!!
इक शाम कम से कम बात तो की होती,
दर्द_ऐ_दास्तां कम से कम बयां तो की होती..!!
कर देता मैं सारी दुनिया एक तरफ,
पर आने न देता तुझे कोई एक हरफ...!!
कैसे दिखाएं अपना दर्द ये बे_पनाह..,
कि आँखों में नमी है और ज़हन में भरी आह...!!
कैसे दिखाएं अपना दर्द ये बे_पनाह..,
कि आँखों में नमी है और ज़हन में भरी आह...!! Rj Prashant
#be_panah
#बे_पनाह