कोरा कागज़ रहा मैं हमेशा,मन में कोई बैर, छल नहीं था | तब भी था अधूरा,मैं हर किसी के लिए मुक्कमल नहीं था | सीखा दिए सबक मुझे जिंदगी ने,राह काँटों भरी गुज़रने के बाद जैसा बता रहा है ज़माना मुझे, ऐसा मैं कभी कल नहीं था | ©Rahul Anand #CityWinter #kagaz #poem #Poetry #Shayari #Poet #Shayar #lyrics