गरजना ज़ुल्म का कुछ भी नहीं ,बस शोर होता है मगर , ख़ामोश हमला सब्र का पुर ज़ोर होता है है अहल-ए-सब्र के हर फ़र्द का चट्टान सा सीना जफ़ा करता है जो, दर अस्ल वो कमज़ोर होता है Fahmi Ali jafa