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घड़ी की सुईयां तेज़ी से बढ़ रही थी। फिर क्यों मेरी धड़

घड़ी की सुईयां तेज़ी से बढ़ रही थी। फिर क्यों मेरी धड़कन तेज रफ्तार में दौड़ रही थी, 
शायद वो पल पल मेरी अग्नि परीक्षा ले रही थी, 
मेरी माँ थी घर में अकेली और उनकी लाली 
दरिंदो के नज़र में खटक रही थी. उनकी लाली 🤐
घड़ी की सुईयां तेज़ी से बढ़ रही थी। फिर क्यों मेरी धड़कन तेज रफ्तार में दौड़ रही थी, 
शायद वो पल पल मेरी अग्नि परीक्षा ले रही थी, 
मेरी माँ थी घर में अकेली और उनकी लाली 
दरिंदो के नज़र में खटक रही थी. उनकी लाली 🤐

उनकी लाली 🤐 #कविता