घर कच्चे से पक्के हो गये, गलियां सकरी थी अब चौड़ी हो गई। सड़के हर रोज नई बनती रही, लोग पढ़लिखकर शिक्षित हो गये। सब कुछ बदलता रहा हर रोज नया बनता रहा, बस नही बदला तो लड़कियों का जीवन। कल घर से बाहर न निकले इसलिए मारी जाती थी, आज घर से बाहर निकलती है इसलिए मारी जाती है। वो कल भी लड़ती थी आज भी लड़ रही और कल भी लड़ेंगी, क्योंकी हम बस बदलने का ढोंग करते रहे असल मे आज भी वैसे है। धन वैभव ऐशोआराम सब बढ़ता रहा, मगर इंसानियत हर रोज गिरती रही.. डिग्रियां तो बहुत सारी मिल गई, मगर संस्कार लुप्त हो गए। हम फेल हो गए एक समाज के रूप में, हम फेल हो गए इंसान के रूप में। हम फेल हो गए बाप भाई बेटे के रूप में, हम फेल हो गए माँ बहन बेटी के रूप में। हा हम पास भी हुए है, लेकिन महज एक शैतान हैवान के रूप में। हा हम बहुत अच्छे नम्बरों से पास हुए, मगर बस एक असभ्य समाज के रूप में। ©himanshi Singh #stopacidattacks #stopblaminggirls #SAD #angry #Stoprape Dev Faizabadi 💎 #Rahul Mr. MANEESH deepti😊 आशुतोष यादव