तेरी यादें फिर वही पहली बारिश बनकर बरसती हैं, खत कें पोलिंदे में से अब भी तुम्हारी भीनी भीनी खुश्बू आती है, वो निशानियां मुझे तुम्हारे पास बुलाती हैं, वो शोखियों के बादल तुम्हारा पसंदीदा गाना सुन घिर घिर आते हैं, वो तुम्हारी खिलखिलाहट की गूंज अभी इन चारदिवारी में गूंजती है, वो चाय के कप तुम्हारी ऊंगली की छुअन का इंतज़ार करतें हैं, इसमें दिल का क्या कुसूर ♥️ Challenge-991 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।