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पानी की व्यथा आज मैं अपने कई दिनों के देशाट्न अ

पानी की व्यथा
  आज मैं अपने  कई दिनों के देशाट्न अर्थात प्रदेश भ्रमण की     उद्देश्योचित यात्रा से वापस लोटने की इच्छा से पुरानी दिल्ली 
रेलवे स्टेशन पर पहुंचा और मेने हिसार शहर का टिकेट बनवाया ।
 मेने टिकेट लिया और प्लेटफ़ॉर्म की ओर दौड़ा जहां से मुझे गाड़ी में बैठना था। निर्धारित समय के अनुसार गाड़ी छुटने ही वाली थी।
 मेरे मन में शंका उत्पन्न हो रही थी कि कहीं गाड़ी छुट न जाए।
 तभी पुछताछ केन्द्र से सुचना प्रसारित की गई कि हिसार शहर
 जाने वाली गाड़ी दस मिनट देरी से पहुंचेगी। इतना सुनकर
 मेरा मन कुछ शांत हुआ।
में जैसे ही दो- चार कदम आगे बढ़ा एक ...... दृश्य ने मुझे मेरे
 अंदर      तक झकझोर कर रख दिया। मेरे कदम वहीं पर
 रुक गए।  मैं चाह कर  भी वहां से किनारा नहीं लें सकता था।
 क्योंकि मेरे कदम मुझे वहां से आगे बढ़ने ही नही दे रहे थे।
   दरअसल वो दृश्य ही इतना मार्मिक था। दृश्य ऐसा की यदि 
मेरी जगह आप होते तो आप के साथ भी ऐसा ही होता।
 जैसा मेरे साथ हुआ और आप भी वैसा ही करते जैसा मेरे
 द्वारा किया गया।
 Part-1

©Vikash Arya
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