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बाहर अश्रु नहीं दीखते ,बहते रहतेl हैं नैना" मिलन

बाहर अश्रु नहीं दीखते ,बहते रहतेl हैं नैना"

मिलन तुम्हारा मन की तृप्ति,
 वर्षा  यौवन  बन  के  वृष्टि।
रेगिस्तान  में  फिरूं  घूमता ,
तुम बिन कहीं, मिले न चैना।। बाहर अश्रु...
पहली बार मिलन का वादा ,
करके निकले, घर से इरादा।
. आंधीb ने  रस्ते  को  रोका,
गरज गरज  के, बरसी  रैना।। बाहर अश्रु ...
मोती सी मुस्कान तुम्हारी,
 मोती  से  भी  महंगी  थी।
इसीलिए तो ठुकरा दी थी,
 दौलत  की  परवाह  न की।।
तरस गया हूं एक हंसी को, तेरे जैसा कोई हंसे ना।
बाहर  अश्रु vनहीं देखते, बहते bरहते  हैं bनैना।।

©Anuj Ray # बाहर अश्रु नहीं दीखते"..
anujray7003

Anuj Ray

Bronze Star
New Creator

# बाहर अश्रु नहीं दीखते"..

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