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इंसान मुस्तक़बिल को सोच के अपना हाल ज़ाया करता है, फ

इंसान मुस्तक़बिल को सोच के अपना हाल ज़ाया करता है, फिर मुस्तक़बिल मैं अपना माज़ी याद कर के रोता है।
मुस्तकबिल = भविष्य, 
माज़ी = भूतकाल, हाल = वर्तमान
शेख़ सादी भविष्य-वर्तमान-भूतकाल
इंसान मुस्तक़बिल को सोच के अपना हाल ज़ाया करता है, फिर मुस्तक़बिल मैं अपना माज़ी याद कर के रोता है।
मुस्तकबिल = भविष्य, 
माज़ी = भूतकाल, हाल = वर्तमान
शेख़ सादी भविष्य-वर्तमान-भूतकाल
zainulimam1446

@Mp.khaqzada

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भविष्य-वर्तमान-भूतकाल #विचार