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*शीर्षक: श्रध्दा रहित भक्ति* राम नाम जपते हो तुम

*शीर्षक: श्रध्दा रहित भक्ति*

राम नाम जपते हो तुम बांध गठरिया पाप।
पुण्य भला कैसे मिले मन नहीं रखते साफ़।।
भक्ति कर भगवान पर करते क्या एहसान।
फिर कहते सुनता नहीं वो कैसा है भगवान।।

तन धोया गंदा रखा मन कैसे मिलेगी ख्याति।
तुम तो होना चाह रहे हो कुछ पल में विख्यात।। 
मंदिर-मस्ज़िद में ढूढ़ते हो परमपिता को आप।
तुम्हें पता यह है नहीं कि हम करते कितने पाप।।

ईश्वर तो बैठा हुआ कभी खुद के अंदर भी झांक।
तू खुद को क्या है मानता ये खुद से खुद को आंक।।
मधुशालाओं पर नित्य लग रही जो लंबी लंबी भीड़।
जिससे कमजोर होती जा रही नव युवाओं की रीढ़।।

पूजा पाठ से पहले तुम मन को कर लो साफ।
फिर कैसे सुनता प्रभु यह खुद ही देखना आप।।
प्रभु की भक्ति से सदा होता दुःख दर्दों का नाश।
शुद्ध भाव भक्ति करो तभी प्रभु से रखिए आस।।

  "कुमार आदित्य यदुवंशी"✍️

©Aditya Yadav #shraddhalessdevotion
*शीर्षक: श्रध्दा रहित भक्ति*

राम नाम जपते हो तुम बांध गठरिया पाप।
पुण्य भला कैसे मिले मन नहीं रखते साफ़।।
भक्ति कर भगवान पर करते क्या एहसान।
फिर कहते सुनता नहीं वो कैसा है भगवान।।

तन धोया गंदा रखा मन कैसे मिलेगी ख्याति।
तुम तो होना चाह रहे हो कुछ पल में विख्यात।। 
मंदिर-मस्ज़िद में ढूढ़ते हो परमपिता को आप।
तुम्हें पता यह है नहीं कि हम करते कितने पाप।।

ईश्वर तो बैठा हुआ कभी खुद के अंदर भी झांक।
तू खुद को क्या है मानता ये खुद से खुद को आंक।।
मधुशालाओं पर नित्य लग रही जो लंबी लंबी भीड़।
जिससे कमजोर होती जा रही नव युवाओं की रीढ़।।

पूजा पाठ से पहले तुम मन को कर लो साफ।
फिर कैसे सुनता प्रभु यह खुद ही देखना आप।।
प्रभु की भक्ति से सदा होता दुःख दर्दों का नाश।
शुद्ध भाव भक्ति करो तभी प्रभु से रखिए आस।।

  "कुमार आदित्य यदुवंशी"✍️

©Aditya Yadav #shraddhalessdevotion
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Aditya Yadav

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