छलकती आंखों और सिसकते लबों के साथ यहीं दुआ है कि... तुम्हारी खुशियों की कभी शाम ना हो, अब कोई तुम्हारा अपना खास से आम ना हो। मिले हर पल खुशियों की की सौगात तुम्हे, ज़िन्दगी जन्नत बने जहां दुखों का कोई नाम ना हो... कोई नाम ना हो..!! छलकती आंखों और सिसकते लबों के साथ यहीं दुआ है कि... तुम्हारी खुशियों की कभी शाम ना हो, अब कोई तुम्हारा अपना खास से आम ना हो। मिले हर पल खुशियों की की सौगात तुम्हे, ज़िन्दगी जन्नत बने जहां दुखों का कोई नाम ना हो... कोई नाम ना हो..!! – ओम