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शीर्षक:- विदाई। लेखक "शायद" इक दिन बेटी चली जायेगी

शीर्षक:- विदाई।
लेखक "शायद"
इक दिन बेटी चली जायेगी
बस यादे ही रह जायेगी।
अपनों से नाता तोड़कर
गेरो की वो हो जायेगी।।
अपनों को भूलकर कैसे वो
गेरो के बीच रह पायेगी।
दर्द भी होगा यदि उसे तो
वहां किसे वो बतायेगी।।
दूर बेठी हर बेटी अपनी
व्यथा किसे समझाएगी।
कोसो दूर बेठे माँ बाप की
"आह" निकल तो जायेगी।।
जुल्म करने वालो समझो
दहेज के लिए न हो हरजाई।
एक दिन ऐसा आयेगा
जब तुम कहलाओगे कसाई।।
जब तुम कहलाओगे कसाई।।
("शायद").
शीर्षक:- विदाई।
लेखक "शायद"
इक दिन बेटी चली जायेगी
बस यादे ही रह जायेगी।
अपनों से नाता तोड़कर
गेरो की वो हो जायेगी।।
अपनों को भूलकर कैसे वो
गेरो के बीच रह पायेगी।
दर्द भी होगा यदि उसे तो
वहां किसे वो बतायेगी।।
दूर बेठी हर बेटी अपनी
व्यथा किसे समझाएगी।
कोसो दूर बेठे माँ बाप की
"आह" निकल तो जायेगी।।
जुल्म करने वालो समझो
दहेज के लिए न हो हरजाई।
एक दिन ऐसा आयेगा
जब तुम कहलाओगे कसाई।।
जब तुम कहलाओगे कसाई।।
("शायद").