सूखे फूल मेरे इतने भी करीब न आओ के फिर तेरे जाते हुए मेरा दिल माचल पड़े ।। बडी मुश्किल से समेटा है मैंने खुद को तेरे जाते हुए न हम फिर बिखर पड़े ।। बेहतर है अन्जान रहो न नाम दो मोहब्बत का जुदाई के वक़्त लब से न कोई आह निकल पड़े ।। मेरे दोस्त मेरे हमदम मुझे आदत है तन्हाई की कुछ दिन के तेरे शोक से मेरी आदत में न ख़लल पड़े ।। सूखे फूल सा एक खत मिला है किसी किताब से नाम पढते ही अश्क मेरी आंखो से छलक पड़े ।। मै ख़ौफ़ज़दा हूं बस इस खयाल से हसरत तुम जाने का इरादा करो और मेरा दम निकल पड़े #सूखेफूल