अफ़साना लिखने की नीयत नहीं है ।
ये मत समझना के काबलियत नहीं है ।।
खुद को घोल के इतना पी चुका हूँ मैं
लहू की मेरे अंदर कोई फ़क़त नहीं है ।।
अटकी है ज़िन्दगी बस इत्ती सी बात पे, के
मंटो या गुलज़ार जैसी मेरी हरकत नहीं है ।। #सतिन्दर#satinder#kuchलम्हेंज़िन्दगीke