क्रोध... कुछ अगर मनसा ना हो, कुछ अगर सोच समेत ना हो. क्रोध अनिवर्णीय जो ही जाता है. ये स्वाहर्ती मंन का ध्यास है. जो आणुपेक्षित होने से क्रोधित हो जाये. ©Gayatri Modhave क्रोध... कुछ अगर मनसा ना हो, कुछ अगर सोच समेत ना हो. क्रोध अनिवर्णीय जो ही जाता है. ये स्वाहर्ती मंन का ध्यास है. जो आणुपेक्षित होने से क्रोधित हो जाये.