मै तुझमें हूं पर तुम मुझमे नहीं तुम जहां कहीं में भी वहीं मेरा तुझसे आगे कोई मोड़ नहीं मेरा ओर कोई जोड़ नहीं तेरा मिलना क्यों नहीं है सही तू हर जगह पर मैं कहीं कहीं देख कर रोती हूं में तेरी आवाज सुनती हूं मैं कदमों को तेरे गिनती हूं मैं धूप छांव की एक विनती हूं मैं ठहराव में दूर रहती हूं मैं तूझसे कुछ भी नहीं कहती हूं मैं तू मेरे संग नही पर तेरे संग रहती हूं मैं तेरे आस पास हूं जीवन नही एक ताश हूं जिंदा तो हूं पर लाश हूं साथी न संगी बस एक दास हुं न हकीकत न झूठ हूं तो बस एक आभास हूं न तार कोई न प्यार कोई न दिन सोई न रात सोई न बात कोई न मुलाकात कोई समझो तो खाए है मैने आघात कई मै सबके पर मेरे न साथ कोई क्या दे पाएगा जवाब कोई मै तुझमें हुं पर तू मुझमें नहीं। ©rashmi98 #Englishpoetry #AugustCreator #English_Poem #HindiPoem #hindi_poetry #hindikavita #hindinojoto #nojotopoetry