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प्रकृति इंसान तेरी पाने की चाह में तू इंसानिय

प्रकृति

इंसान तेरी पाने की चाह में
    तू इंसानियत को खो बैठा ।।
तेरी इस लापरवाही ने
       तू खुद की, जान खो बैठा ।।

चीर सीन धरती का 
  तू पेट्रोल डीजल ले आया ।।
जला जला कर तू ने  
   प्राणवायु को मिटाया ।।

काट वृक्ष को तू ने 
खुद का आवास बनाया ।।
गोलोबल वार्मिंग लाने में
तेरा खुद का ही काला साया ।।

बना के फ़ैक्टरी 
जो तू ने आधुनिकता का नाम दिया 
इस आधुनिकता ने 
जल को भी दूषित किया ।।

प्रकृति में तुझें कम दिया था
 जो तू पशु-पक्षियों को भी खा रहा है ।।
इसी लिये तो कोरोना भी 
  तुझे आज नाच नाचा रहा है ।।

 ये तो बस शुरुआत है
     अभी भी वक्त बाकी है ।।
   उठ और जाग जा प्यारे 
आज कोरोना है 
  कल कुछ और भी होगा।।
  रोक ले अपने कदमों को
     जिससे तू खुद को ही खो रहा है ।।

प्रकृति ने तुझें सब दिया है 
  छिन ने की कोशिश ना कर।।
रहेगा सुखी तू 
   बस प्रकृति का समान तू कर।।

                                                                       Rajesh kumar #river #poem #lockdown #Nature
प्रकृति

इंसान तेरी पाने की चाह में
    तू इंसानियत को खो बैठा ।।
तेरी इस लापरवाही ने
       तू खुद की, जान खो बैठा ।।

चीर सीन धरती का 
  तू पेट्रोल डीजल ले आया ।।
जला जला कर तू ने  
   प्राणवायु को मिटाया ।।

काट वृक्ष को तू ने 
खुद का आवास बनाया ।।
गोलोबल वार्मिंग लाने में
तेरा खुद का ही काला साया ।।

बना के फ़ैक्टरी 
जो तू ने आधुनिकता का नाम दिया 
इस आधुनिकता ने 
जल को भी दूषित किया ।।

प्रकृति में तुझें कम दिया था
 जो तू पशु-पक्षियों को भी खा रहा है ।।
इसी लिये तो कोरोना भी 
  तुझे आज नाच नाचा रहा है ।।

 ये तो बस शुरुआत है
     अभी भी वक्त बाकी है ।।
   उठ और जाग जा प्यारे 
आज कोरोना है 
  कल कुछ और भी होगा।।
  रोक ले अपने कदमों को
     जिससे तू खुद को ही खो रहा है ।।

प्रकृति ने तुझें सब दिया है 
  छिन ने की कोशिश ना कर।।
रहेगा सुखी तू 
   बस प्रकृति का समान तू कर।।

                                                                       Rajesh kumar #river #poem #lockdown #Nature
rajeshraj4319

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