पुरानी यादें आज भी, (एक लड़की की कहानी) कमरे मे घनघोर शांति थी। दिलो की धड़कन आप आसानी से सुन सकते थे। शांति का वो पुल टूटा,उन्होंने पूछा:-कुछ बोल लो,कब तक ऐसे ही बैठी रहोगी।मैं तब भी खामोश थी,क्या बोलू यह तक भी सोचना मैने जरूरी नही समझा।उन्होंने क्या बोला,ध्यान भी नही दिया।मात्र उनकी तरफ देखा और मुस्कुरा दी। उन्होंने अपना हाथ मेरे हाथ की तरफ बढ़ाया।उनका छूना मानो किसी गर्म चाय की केतली पर गलती से हाथ लगने के बराबर था।जिसकी जलन का अहसास होने पर,हम फटाक से हाथ हटा लेते है,ठीक वैसे ही मैने अपना हाथ हटाया। क्यों? मैं नही जानती थी। पर शायद मैं तैयार नही हूँ,करीब आने के। उनकी तरफ़ देखा। इस बार ना नज़रो में महोब्बत थीं ना ही फिक्र, बस था तो सवालो का तूफान,जिसके आगे मैं टिक ना सकी और शर्मिंदगी से नज़रे झुका ली। एक सवाल खुद से हुआ, क्यो कर रही हो ऐसा? पर जवाब भी खुद से ही मिल गया नही!नही!नही! बिल्कुल नही! वो खड़े हुए,और दरवाजे की तरफ बढ़ने लगे रोको उन्हें! दिल ने बोला या शायद,समाज के रिवाजो ने तुम तैयार नही,तो क्या हुआ?पति है वो तुम्हारे,उनका हक है। शादी की है उन्होंने तुमसे। हाँ, की है मुझसे शादी! रूह नही पाई है,अभी मेरी केवल जिस्म पर हक मिला है! रूह पर नही! मैं अचानक से खड़ी हो गई।जिसकी आवाज से वो रुक गए। बस 2 कदम की दूरी पर ही दरवाजा था अगले तीसरे कदम में वो कमरे से बहार हो जाते। मेरा हाथ उठा,उन्हें रोकने के लिए लेकिन इतनी हिम्मत नहीं हो सकी के छू कर उन्हें रोक लू। वो इंतज़ार में थे मेरे रोकने के।लेकिन मैं नही कर सकी।वो चले गए......... मात्र 1 सेंटीमीटर की दूरी ने हमारे रिश्ते में एक लंबी दूरी बना दी थी। मैं जहाँ थी वही रुक गई। दरवाजे की तरफ ही देखते देखते सो गई।मालूम ही नही चला कि कब आँख लगी लेकीन जब तक होश रहा सिर्फ एक ही सवाल मैं खुद से करती रही, जो हुआ वो ठीक था या नही। . #Stories #Quotes Dikpal Gautam Upadhyay Soumya Jain