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बैठकर कभी एकांत मन को रखकर शांत प्रकृति का बन दृष्

बैठकर कभी एकांत
मन को रखकर शांत
प्रकृति का बन दृष्टा
समझो कौन हैं सृष्टा।
यारा समझो,जो मौजूद जगत में
आस्तिक हर क्योँ होता आफत में।
हैं अस्तित्व खुद का क्यों, पहचानो
जुड़ता कोई क्यों, खुद से यह जानो।
क्यों धर्म, क्यों देश,क्यों बनाये प्रांत
निर्विकल्प हो, परखो बैठा कर शांत।

©Kamlesh Kandpal
  #solitary