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जैसी उसकी मर्ज़ी है" सुनता नहीं हमेशा सबकी, लोग

जैसी उसकी मर्ज़ी है"

सुनता नहीं हमेशा 
सबकी, लोग कहें खुदगर्ज़ी है।
तकदीरों का मालिक 
है वो ,जैसी उसकी मर्जी है।

ख़ुशी गमों की फिकर 
नहीं है ,लगा रखी इक अर्जी है।
कटी फटी सिलता है
 सबकी, बड़ा पुराना दर्जी है।

कभी ज़ख्म पर मरहम 
न करता, देख हंसे बेदर्दी है।
कभी ख़ुशी से गले लगा
 के ,सजी चिता पर अर्थी हो।

©Anuj Ray
  #जैसीभीज़िन्दगी  है