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हमारी ज़िन्दगी की ड़ोर जैसे मुसलसल ही उलझती ज

हमारी  ज़िन्दगी   की  ड़ोर  जैसे
मुसलसल ही उलझती जा रही है

रग़ों  में  ज़हर  घुलता जा रहा है
किसी की याद डसती जा रही है

©Waris pilibhiti ja rahi hai

#holdinghands
हमारी  ज़िन्दगी   की  ड़ोर  जैसे
मुसलसल ही उलझती जा रही है

रग़ों  में  ज़हर  घुलता जा रहा है
किसी की याद डसती जा रही है

©Waris pilibhiti ja rahi hai

#holdinghands