मैं नारी हूं, मेरे लिए समाज ने कई बंधन बनाए हैं, मेरे पैरों में अनदेखी अनकही,कई बेड़ियां है, मेरा मुस्कुराना भी समाज को गलत लगता है, मैं क्या सोचती हूं, मैं क्या चाहती हूं, इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं एक नारी हूं, जिसके हाथों में ना दिखने वाली, हथकड़ियां है, मेरा किसी से मिलना समाज को आज भी पसंद नहीं, मेरा किसी के साथ उठना बैठना समाज को आज भी गलत लगता है, तुम्हें कैसे बताऊं कि मुझे क्या पसंद है, तुम्हें कैसे बताऊं? ©Dia #dhoop शिवम् सिंह भूमि Rakesh Kumar Himanshu