प्रश्न कभी संसार से मत करना संसार से कभी जवाब न आयेगा। जो कुछ भी पूछना खुद से पूछना खुद से सच्चा दोस्त न मिल पाएगा। सब मुश्किलों के हल भीतर हैं तेरे बाहर खोजेगा तो मुश्किल से घिर जाएगा। कौन हो क्या हो क्यों हो? बाहर से माया हो मन हो काया हो अन्न हो पानी हो धूप हो छाया हो जन्म हो मरण हो द्वैत हो द्वंद्व हो। भीतर से तुम आत्म हो अवचेतन हो शाश्वत हो सदा नूतन हो स्वछंद हो। बस काल की नगरी में कपोल के निरूतर प्रश्नों की पिटारी में बंद हो। जीवन प्रश्न पहेली बना रहेगा सदा जब तक मन पिंजरा खोल न पाएगा। प्रश्न कभी संसार से मत करना संसार से कभी जवाब न आयेगा। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 08.07.2020 संसार से प्रश्न