आबादी पृत्येक दिन बडती जनसंख्या ने पैदा कर दी बिपदाए, बटते बढते घटी घरों में सभी तरह की सुविधाए, दूध क्षाछ की तो बातें बीती रोटी दाल न खाने को,, सरीर ढकने को कपड़ा नहीं ओर चादर नहीं बिछाने को,, ©Ramhet Goswami abadi to poem #Aabadi