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इन बगीचे के झूलों में झूलने का सपना ही किसका था? ह

इन बगीचे के झूलों में झूलने का सपना ही किसका था?
हमें तो सिर्फ गुलदस्ते का एक
 खिला हुआ लालगुलाब चाहिए था,
पर इस फरेबी दुनिया में वह महकता हुआ 
लालगुलाब कहां
जिसकी खुद की आबरू नहीं,
वह मेरी आबरू का कवच कहां,

©Icharaj kanwar #hkiktkiduniya
इन बगीचे के झूलों में झूलने का सपना ही किसका था?
हमें तो सिर्फ गुलदस्ते का एक
 खिला हुआ लालगुलाब चाहिए था,
पर इस फरेबी दुनिया में वह महकता हुआ 
लालगुलाब कहां
जिसकी खुद की आबरू नहीं,
वह मेरी आबरू का कवच कहां,

©Icharaj kanwar #hkiktkiduniya