White अभी ज़िंदा है भारत, इसे ज़िंदा रहने दो, हम दोनों के दरम्यान, गुफ़्तगू खुला रहने दो। ये भगदड़ थी या साज़िश, इसे बाद में देखेंगे, पहले उजड़े दिलों को, कुछ आसरा रहने दो। सियासत के सौदागर, नफ़रतों को मत बेचो, कुछ सपनों को आँखों में, हरा-भरा रहने दो। जो मिट्टी में सोए हैं अभी उनकी खाक जिंदा हैं ना खेलो सियासत,अश्कों को अलहदा बहने दो। बहारें फिर लौटेंगी, अगर शाख़ें बची रहें, दंगों की आग बुझा दो, हवा को खुला बहाने दो। अभी ज़िंदा है भारत, इसे ज़िंदा रहने दो, मज़हब से परे इंसानियत का घर बना रहने दो। राजीव ©samandar Speaks #Thinking