वो स्कूल की किताबो की कठिन सी बातें मस्त परिवार के संग गुजरती रातें जल्दी बड़े होने की चाहत ने जल्दी ही अहसास करा दिया कि वो किताबो की बाते आसान थी बस जिंदगी के सवाल ही अनसुलझे है ना अब वो बाते होंगी और ना वो राते होंगी बस अब फिर से दुबारा मरकर माँ के आंचल में सिकुड़कर इन घनघोर उजालो की आहट की बेफिक्री में सोने का और बस ऐश सोते रहने का इन्तेजार है