वे घर में है ,कैद है फिर भी आजाद है कुछ सलामत ए सकून में है कई हालत ए परेशान है अजीब सी जंग है ये भी , जीतने की उम्मीद से ज्यादा उन्हें मजहब के फर्क पे नाज़ है I हस्पताल के बेड क्या कभी बटे है ? मानो बेड ने भी जवाब दे ही दिया यू - ता उम्र उलझे रहे वे धर्मो के विवादो में यू ना जाने समझे नहीं ज़िन्दगी के मकसद को क्यों हमने देखी है कई मौते हस्पताल के इसी बेड पर , जहा हिन्दू भी इंसान थे और मुसलमान भी #Humanity#muchneeded#Workforpeople#StopCorona#beyondreligions