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तुम क्या रूठे, हर पन्ने से स्याही उड़ गई हो जैसे,

तुम क्या रूठे, 
हर पन्ने से स्याही उड़ गई हो जैसे,

फिर उनमें खण्ड कितने ही प्ररेक क्यों न हो, रहेंगे तो बेमतलब ही।

©Swarnima Sharma #pagesofdiary #ThoughtsinWords
तुम क्या रूठे, 
हर पन्ने से स्याही उड़ गई हो जैसे,

फिर उनमें खण्ड कितने ही प्ररेक क्यों न हो, रहेंगे तो बेमतलब ही।

©Swarnima Sharma #pagesofdiary #ThoughtsinWords