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माँगती हूँ तेरा पनाह हर पल मैं, डर नहीं उलझनों के

माँगती हूँ तेरा पनाह हर पल मैं,
डर नहीं उलझनों के डेर का खुदा,
इन इन्सानों के फेर से दूर चल मैं,
इनके साथ बस मधुरिम सफर तय करना चाहूँ।। 👉🏻 प्रतियोगिता- 615
विषय 👉🏻 🌹"पनाह"🌹
🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I

🌟कृपया font size छोटा रखें जिससे wallpaper ख़राब नहीं लगे और Font color का भी अवश्य ध्यान रखें ताकि आपकी रचना visible हो। 

🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दिए हुए शब्द को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।
माँगती हूँ तेरा पनाह हर पल मैं,
डर नहीं उलझनों के डेर का खुदा,
इन इन्सानों के फेर से दूर चल मैं,
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sitalakshmi6065

Sita Prasad

Bronze Star
Gold Subscribed
Growing Creator
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