मस्तक पर पावन धार लिए, गल सर्पन का हार लिए घुंगरू की झंकार लिए, और डमरू का नाद लिए वो अटल ब्रह्म वो निरंकार ,वो देव जो दुनिया का आधार वो अविनाशी घाट घाट वाशी, वो विश्वनाथ रहता काशी भांग पिये रगड़े बभूत, है साथी जिसके प्रेत भूत मदमस्त रहे करता है ध्यान,सब देव करें जिसका गुणगान अमृत छोड़ कर विष है पिया, संसार छोड़ श्मशान लिया इतना निर्मल इतना निष्छल, बस प्रेम भाव के लिए विकल वो महादेव वो भोलेनाथ, वो शिव शंकर वो शशिशेखर वो दिव्य है वो साधारण,वो जन्म मृत्यु का है कारण जीवन की नैया पार करे, वो दुष्टों का संघार करे। #महादेव #शिवरात्रि #कविता #आध्यात्मिक #विचार