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White गुज़र रही है ज़िन्दगी, तुझ बिन बेसब्र..! अरमा

White  गुज़र रही है ज़िन्दगी,
तुझ बिन बेसब्र..!
अरमानों की लिए,
मन में मेहरमाँ क़ब्र..!

क्या करें ख़्यालों का,
जिसमें रहती हो मेरे हमसफ़र..!
यादों का एक महल था कभी जो,
अब बन चुका है खँडहर..!

चाहतों का चाँद देख,
काँप रहे लब थर थर..!
मिल जाओ तुम जो,
खिल जाएँ ख़्वाहिशें जीवनभर..!

कैसे हों हम तुम एक संग,
बने मुलाक़ात का कोई अवसर..!
बेचैनियों में रहें कब तक,
हम ख़ुद से भी बेख़बर..!

©SHIVA KANT(Shayar) #humsafar
White  गुज़र रही है ज़िन्दगी,
तुझ बिन बेसब्र..!
अरमानों की लिए,
मन में मेहरमाँ क़ब्र..!

क्या करें ख़्यालों का,
जिसमें रहती हो मेरे हमसफ़र..!
यादों का एक महल था कभी जो,
अब बन चुका है खँडहर..!

चाहतों का चाँद देख,
काँप रहे लब थर थर..!
मिल जाओ तुम जो,
खिल जाएँ ख़्वाहिशें जीवनभर..!

कैसे हों हम तुम एक संग,
बने मुलाक़ात का कोई अवसर..!
बेचैनियों में रहें कब तक,
हम ख़ुद से भी बेख़बर..!

©SHIVA KANT(Shayar) #humsafar