अच्छे दिन लाॅकडाउन ने जनम दिये हैं हुनर अजन्मे अबकी बार कवि हो गये सभी लफण्डर खुद को कहते साहित्यकार गुन-गुन-गुन, मक्खी वाली धुन गायक की तो लगी बहार चार चौखटे संग धर दिये खिड़की से निकला चित्रकार। शैफ़गीरी में हाथ आजमायें एक्सपोर्टर- कारखानेदार झाड़ू-गटका, धोबी-पटका टिक-टौकियों को चढ़ा बुखार परम बेवड़ों की महफिल ही तब से अब तक चालू है अच्छे दिन तो इनके हैं बस ये सरकार कृपालू है। #NaveenMahajan अच्छे दिन