चाहा कुछ और था हो कुछ और गया ढूंडने कुछ और निकला मिल कुछ और गया भोला था चेहरा उसका, थोड़ी देर मैं खूँख़ार हो गया हमारी बातों ही बातों में अब थोड़ा इक़रार हो गया ©Nishan Nishan