यूँ हो गयी है मुझे तन्हाइयों को लिखने की आदत, लोग खामोखाँ मुझे इश्क़ में बीमार समझ बैठे हैं। दे देता हूँ रोज अपनी तन्हाइयों को शब्द का चेहरा, और लोग मुझे बेरोजगार समझ बैठे हैं।। #Berojgar #बेरोजगार