खून खून नही रहा पानी हो गया है मिलावट की आदत तो सदियों की है इंसान कहलाना भी बेमानी हो गया है आटे मे नमक चला करता था अब नमक मे आटा मिला डाला है इंसान ने खुद को बदलते बदलते कितना बदल डाला है खुद पर नजर कभी गई ही नही दूजे मे कमी निकालने का शौक रहा है चोर चोर चिलाने वाला वो शख्स अपने गुनाहों को क्या बखूबी छुपा रहा है आजकल आँखों मे नमी आती नही दर्द देखकर पानी भी छलकाती नही निर्जल हो गए हैं नैन कुछ इस कदर कि मानवता की हत्या देखकर भी पलकें झपकाती नही....... #अंजान..... #कविता #लेखक #हिंदी #nojoto #nojotohindi #hindipoetry #poetrylover #अंजान....