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तुम्हें सामने खड़े देखकर हलक में अटककर मेरे शब्द य

तुम्हें सामने खड़े देखकर
हलक में अटककर
मेरे शब्द यूँ फड़फड़ाते हैं।
जैसे पिंजरे में बंद पक्षी
मुक्ति को अधीर होकर
असफल ज़ोर लगाते हैं।। Photo credit- Deposit Photos
तुम्हें सामने खड़े देखकर
हलक में अटककर
मेरे शब्द यूँ फड़फड़ाते हैं।
जैसे पिंजरे में बंद पक्षी
मुक्ति को अधीर होकर
असफल ज़ोर लगाते हैं।। Photo credit- Deposit Photos

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