एक आईना लिए हुए ये कौन सख्श भटक रहा है जो देखा तो पाया बड़ा मलंग फिर रहा है हर गुज़रते हुए सख्श से कह उठता आओ तुम्हे तुम्हारा अक्श दिखाए बदले में न-जाने किस किस का चैन-ए-सुकून लिए फिर रहा है ये दुनिया बड़ी अजब-गजब है तुम नही समझोगे एक ओर इंसानियत तो दूजी ओर हैवानियत का पर्चा बट रहा है ये तो खैर तुम पर है कि कब तुम्हारा भरम टूटे बताने वालों ने तो ये तक कहा की एक पागल है जो जाने कब से दर-बदर भटक रहा है ।। #एक आईना लिए हुए ये कौन #सख्श भटक रहा है