खिचड़ी की हांडी दूर थी,लौ से पकना असम्भव था। मशरूफ रहे दिए में,क्योंकि जला हुआ बुझाना संभव था।। #स्वरचित © #तपिस #दिये #तारीफ #सब #काश #कोई #YourQuoteAndMine Collaborating with अविनाश पाल "शून्य"