मंज़िल नहीं जिनकी कोई मकसद नहीं है सपनें सजाने को मालो-जर नहीं है जिंदगी कैसे गुजरती होगी उनकी खुद के लिये जिन्हें फ़ुर्सत नही है। दर्द ग़ैरों का कैसे दिखे उनको अपना दर्द देखने की हिम्मत नहीं है। दास्ताने-सफ़र की बहुत है सुनाने को मग़र दिल में जमें पत्थरों को हटाने की जुर्रत नहीं है। पता नही उम्र की दहलीज पार करते है कैसे मर गये वो खुद में ज़िन्दगी इतनी भी सहल नही है। ताउम्र कंधा न मिला उनको साँसो का बोझ ढोना पड़ा चार कन्धे मिले उनको सफ़र इससे कोई खूबसूरत नही है। ©Lovely Sony® #kuch_ankahi_bate #sad #roseday