आइएगा और भ्रम दे जाइएगा हो दिल से रज़ा तो ही अपनाइएगा मुहब्बत यूं रहम से नहीं , के मुकरना मुबारक मुकर जाइएगा। नहीं शौक़ मुझको के पालू भ्रम ये के मुहब्बत है तो दिल से निभाइएगा। बड़े देखें हमने धोखे खाने वाले हम खुद से सितम खाए है क्या खिलाइएगा। है दूरी मयस्सर तो हाँ ख़ुश हूँ मैं रो देंगे गर क़रीब आइएगा। के नहीं मंज़ूर मिल के बिछड़ना दुबारा मिले बगैर ही बिछड़ना मुबारक, बिछड़ जाइएगा। के खुश्क आंखों से गर मिले निगाहें तो छुपा लीजिएगा हँस के गुज़र जाइएगा। कमबख्त दिल नादान है ये मर जाएंगे गर नज़रे मिलाइएगा। हकीक़त पसंद हूँ ख्वाबों से परे हूँ ज़िद कर बैठूगी गर ख़्वाब दिखाइएगा। इसलिए इस दिल को है जुदाई मुबारक भ्रम नहीं के आइएगा और सच में ले जाइएगा।। ©नकहत प्रवीण ज़ेबा #Nature #judai #separation #love #nojoto #Hindi #Poetry